हरियाणा में इन दिनों DAP खाद (डायमोनियम फॉस्फेट) की भारी कमी देखने को मिल रही है, जिससे किसानों के लिए स्थिति तनावपूर्ण होती जा रही है। खासकर गेहूं की फसल की बुवाई के समय में इस खाद की मांग अत्यधिक बढ़ जाती है, परन्तु इस बार हिसार, नारनौल, भिवानी, जींद सहित कई जिलों में DAP का स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है। किसानों को दिनभर सरकारी केंद्रों और बिक्री जगहों पर लाइन में खड़े रहने के बावजूद खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि कुछ जिलों में प्रशासन को थानों से खाद का वितरण कराना पड़ा, जिससे लोगों में आक्रोश और बढ़ गया है।
DAP किसान क्यों हो रहे हैं DAP खाद की कमी से परेशान?
DAP खाद फसलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है, विशेष रूप से गेहूं और अन्य रबी फसलों के लिए। DAP में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों तत्व होते हैं, जो पौधों की जड़ों और अंकुरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर और नवंबर के महीने में किसान बड़े पैमाने पर गेहूं की बुवाई शुरू करते हैं, जिसके लिए उन्हें DAP खाद की आवश्यकता होती है। खाद की किल्लत के कारण किसान चिंतित हैं कि वे समय पर बुवाई नहीं कर पाएंगे, जिसका सीधा असर उनकी फसल पर पड़ेगा।
जिंद जिले में हालत इतनी खराब हो चुकी है कि किसानों को राहत देने के लिए प्रशासन को पुलिस थानों से खाद का वितरण करवाना पड़ा। किसानों ने बताया कि कई बार उन्हें सुबह से ही लाइन में खड़ा होना पड़ता है और फिर भी खाली हाथ लौटना पड़ता है। किसानों का कहना है कि DAP खाद की कमी से उनकी लागत भी बढ़ जाएगी, क्योंकि जब खाद का संकट होता है, तब इसकी कालाबाजारी भी शुरू हो जाती है।
DAP सरकारी दावा और ज़मीनी हकीकत
हरियाणा सरकार का कहना है कि राज्य में DAP का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। सरकार के अनुसार, 25,000 टन से अधिक DAP खाद का स्टॉक तैयार है और इसे जल्द ही जिलों में भेजा जाएगा। कृषि विभाग ने दावा किया है कि यह संकट अस्थायी है और जल्द ही DAP की आपूर्ति सामान्य कर दी जाएगी। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहती है। किसानों का कहना है कि स्टॉक होने के बावजूद उन्हें खाद क्यों नहीं मिल पा रही है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि हर साल इस सीजन में ऐसी स्थिति बनती है, और सरकार को पहले से इसके लिए तैयारी करनी चाहिए थी। किसानों का कहना है कि यदि समय पर DAP नहीं मिलती, तो उनकी गेहूं की बुवाई में देरी हो जाएगी, जो अंततः उनके उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
DAP किसानों की समस्याएं: समय पर नहीं मिल रही खाद
DAP खाद की कमी के चलते किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं। हिसार, नारनौल, भिवानी, और जींद में खाद के बिक्री केंद्रों पर सुबह से ही लंबी लाइनें देखी जा रही हैं। किसानों को दिन भर लाइन में खड़े रहकर भी खाद नहीं मिल पाती। कई किसानों का कहना है कि प्रशासन और सरकार के बीच समन्वय की कमी है, जिससे खाद की उपलब्धता बाधित हो रही है।
DAP कृषि विशेषज्ञों की राय: गेहूं की फसल पर पड़ सकता है असर
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि DAP खाद की आपूर्ति समय पर नहीं की गई, तो इसका असर गेहूं की फसल पर पड़ सकता है। गेहूं की बुवाई का उपयुक्त समय 15 नवंबर तक का माना जाता है, हालांकि जो क्षेत्रों में देर से फसल होती है, वहां दिसंबर के अंत तक भी बुवाई चल सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि DAP की कमी से फसल की गुणवत्ता और पैदावार में कमी आ सकती है।
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DAP कालाबाजारी की आशंका
DAP खाद की किल्लत के चलते कालाबाजारी बढ़ने की भी आशंका है। कई जगहों से खबरें आ रही हैं कि निजी विक्रेता अधिक कीमत पर DAP खाद बेच रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि उन्हें उचित दरों पर खाद मिल सके।
DAP सरकार का आश्वासन, लेकिन किसान आशंकित
हरियाणा सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि DAP खाद का संकट जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा और केंद्र से भी खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। राज्य सरकार के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों में DAP का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध हो जाएगा और किसानों को इसका लाभ मिलेगा। लेकिन किसानों का कहना है कि उन्होंने कई बार ऐसे आश्वासन सुने हैं, परंतु वास्तविकता में उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।