Tuesday, June 17, 2025
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जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी पर हाईकोर्ट का नोटिस: LLM छात्र की उत्तर-पत्रिका को ‘AI-Generated’ बताने पर विवाद

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को एक LLM छात्र की याचिका पर नोटिस जारी किया है। मामला गंभीर है और शिक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव को उजागर करता है। छात्र ने अपनी उत्तर-पत्रिका को “एआई-जनरेटेड” घोषित किए जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

मामला क्या है?
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में LLM की पढ़ाई कर रहे छात्र ने परीक्षा की उत्तर-पत्रिका जमा की थी। लेकिन विश्वविद्यालय ने उस पर आरोप लगाया कि उसकी उत्तर-पत्रिका एआई की मदद से लिखी गई है। विश्वविद्यालय ने जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि छात्र ने ChatGPT जैसे एआई टूल का उपयोग करके अपना उत्तर लिखा है। इस आरोप के बाद, विश्वविद्यालय ने छात्र की उत्तर-पत्रिका को खारिज कर दिया और इसे अनुशासनहीनता का मामला मानते हुए कार्रवाई की।

छात्र ने अदालत में याचिका क्यों दाखिल की?
छात्र ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि उसने अपनी उत्तर-पत्रिका पूरी ईमानदारी और मेहनत से लिखी है। उसने दावा किया कि एआई का इस्तेमाल करने का आरोप पूरी तरह से गलत है और बिना किसी ठोस सबूत के यह आरोप लगाया गया है। छात्र ने यह भी बताया कि इस घटना से उसकी शिक्षा और करियर पर गंभीर असर पड़ सकता है। छात्र का यह भी कहना है कि विश्वविद्यालय ने बिना पूरी जांच किए यह फैसला सुनाया है, जिससे उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।

हाईकोर्ट का कदम
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है। अदालत ने विश्वविद्यालय से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने किस आधार पर छात्र की उत्तर-पत्रिका को “एआई-जनरेटेड” करार दिया। हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय से जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख भी तय की है। अदालत ने यह भी कहा है कि यह मामला केवल तकनीकी जांच का नहीं है, बल्कि छात्रों के भविष्य से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा है।

एआई का शिक्षा क्षेत्र में बढ़ता प्रभाव
यह मामला एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करता है: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव। हाल के वर्षों में, एआई आधारित उपकरणों जैसे ChatGPT का उपयोग तेजी से बढ़ा है। छात्र अपने शैक्षणिक कार्यों में इन टूल्स का उपयोग करते हैं, जो उनके लिए समय बचाने और लिखने में मददगार साबित होते हैं। हालांकि, यह भी सच है कि इन टूल्स का अनुचित उपयोग करना शैक्षणिक ईमानदारी को चुनौती देता है।

शैक्षणिक संस्थान अब इस बात को लेकर सतर्क हैं कि एआई के इस्तेमाल से परीक्षा में गड़बड़ी हो सकती है। इसके चलते कई विश्वविद्यालय एआई-डिटेक्शन सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो यह पता लगाने की कोशिश करता है कि क्या उत्तर-पत्रिका में एआई का उपयोग किया गया है। लेकिन क्या यह तकनीक हमेशा सही होती है?

जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी

एआई-जांच की चुनौतियां
छात्रों की उत्तर-पत्रिका की एआई जांच करना आसान काम नहीं है। सॉफ्टवेयर आधारित उपकरण कभी-कभी गलत निष्कर्ष भी दे सकते हैं। तकनीकी जांच में सटीकता की कमी हो सकती है, जिससे निर्दोष छात्रों को भी दोषी ठहराया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल सॉफ्टवेयर रिपोर्ट पर भरोसा करना उचित नहीं है। मानव हस्तक्षेप के साथ गहराई से जांच करना आवश्यक है ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।

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छात्र की चिंता
छात्र ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि इस घटना ने उसकी पढ़ाई और भविष्य की योजनाओं पर गहरा प्रभाव डाला है। अगर उसकी उत्तर-पत्रिका को एआई-जनरेटेड माना जाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। यह न केवल उसकी शैक्षणिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगा, बल्कि उसके करियर के अवसर भी प्रभावित हो सकते हैं।

छात्र ने अदालत से यह अपील की है कि विश्वविद्यालय को आदेश दिया जाए कि वह उचित जांच करें और बिना ठोस सबूत के इस तरह का फैसला न लें। छात्र का यह भी कहना है कि उसकी मेहनत को नजरअंदाज किया जा रहा है, जो उसके लिए अन्यायपूर्ण है।

विश्वविद्यालय का पक्ष
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी का कहना है कि उन्होंने एआई-डिटेक्शन सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर छात्र की उत्तर-पत्रिका की जांच की। उनके अनुसार, सॉफ्टवेयर ने संकेत दिया कि सामग्री एआई द्वारा जनरेट की गई हो सकती है। विश्वविद्यालय का मानना है कि शिक्षा में ईमानदारी और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इस तरह की जांच जरूरी है। हालांकि, अदालत के निर्देश के बाद विश्वविद्यालय को अब अपना पक्ष स्पष्ट रूप से पेश करना होगा।

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