जैसे ही सर्दी ने दस्तक दी है, हरियाणा और इसके (AQI)आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। सर्दी की शुरुआत के साथ ही हरियाणा के कई जिलों में धुएं की एक मोटी चादर देखने को मिल रही है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है। प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर को देखते हुए हरियाणा सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद इसे नियंत्रित करने में नाकाम नजर आ रही है। विशेषकर दिल्ली एनसीआर और इसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो चुकी है, जिससे हर उम्र के लोगों को सांस से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं।
हरियाणा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का हाल
हरियाणा के कई जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरे के निशान को पार कर गया है। बहादुरगढ़ में AQI 392 से कम होकर 305 दर्ज किया गया, जो हल्का सुधार दर्शाता है, लेकिन यह स्तर अभी भी “रेड जोन” में आता है। इसी तरह, चर्खी दादरी में AQI 292 पर है, जोकि “गंभीर” श्रेणी में है। दिल्ली एनसीआर के अधिकांश इलाकों की स्थिति भी इसी प्रकार है। हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, सोनीपत, भिवानी, रोहतक और जींद में AQI 200 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो “खराब” और “बहुत खराब” श्रेणी में आता है।
इन स्तरों का अर्थ है कि इन इलाकों में हवा में सांस लेना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही सांस, दिल या फेफड़े की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
GRAP 2 लागू और कड़े कदम
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली एनसीआर और इसके आसपास के क्षेत्रों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू किया गया है। GRAP 2 के अंतर्गत प्रदूषण कम करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। इसके तहत सड़क की सफाई और पानी का छिड़काव नियमित रूप से किया जा रहा है ताकि धूल और प्रदूषक तत्वों को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा सड़कों के मरम्मत के आदेश भी जारी किए गए हैं ताकि सड़कों से उड़ने वाली धूल कम हो सके।
इस योजना के तहत, खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और जो लोग इसका उल्लंघन करते हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है। होटल और रेस्तरां में भी कोयला या लकड़ी के जलाने पर रोक लगाई गई है, ताकि धुएं से होने वाला प्रदूषण कम किया जा सके।
हरियाणा सरकार के प्रयास
हरियाणा सरकार ने भी प्रदूषण कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदूषण पर कड़ी निगरानी रखी जाए और जनता को जागरूक किया जाए। सरकार किसानों से भी अपील कर रही है कि पराली न जलाएं, क्योंकि इससे प्रदूषण का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। इसके साथ ही, उद्योगों और कारखानों पर भी नजर रखी जा रही है ताकि कोई भी नियमों का उल्लंघन न कर सके।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने, वाहनों का अत्यधिक धुआं, और सर्दी के मौसम में हवा के ठहराव जैसे कारकों से प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ जाता है। इसलिए, सरकार ने इस बार प्रदूषण रोकने के लिए सख्त नियम और जुर्माने भी लागू किए हैं।
लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा व दिल के मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है। सांस से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि देखने को मिल रही है और अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेना फेफड़ों, हृदय और अन्य अंगों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
क्या करें लोग?
इस गंभीर स्थिति से बचने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा है कि लोग बाहर जाने से बचें और यदि बाहर जाएं तो मास्क पहनें। साथ ही, घर के अंदर भी हवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर के बावजूद, हमें अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
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हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है और इसका प्रभाव आम जीवन पर दिखने लगा है। सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन यह काम सभी के सहयोग से ही संभव है। प्रदूषण से लड़ने के लिए हमें सभी को जागरूक करना और सही कदम उठाना होगा ताकि हम अपनी और आने वाली पीढ़ी की सेहत को बचा सकें।