हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के हालिया परिणामों ने राज्य की चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण आंकड़े और प्रवृत्तियों को उजागर किया है। औसतन, विजेता उम्मीदवारों ने कुल मतदान का 48% वोट शेयर हासिल किया। यह 2019 के चुनावों के मुकाबले 4% अधिक है, जब यह औसत वोट शेयर केवल 44% था। हालांकि, जब सभी पंजीकृत मतदाताओं पर विचार किया जाता है, तो यह आंकड़ा केवल 33% पर आ जाता है, यानी इन उम्मीदवारों को राज्य के एक तिहाई मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हुआ। यह सवाल उठाता है कि जनप्रतिनिधियों की वास्तविक वैधता और लोकप्रियता कितनी व्यापक है।
आधे से ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और हरियाणा इलेक्शन वॉच के अनुसार, 44% उम्मीदवारों ने 50% या उससे अधिक वोट प्राप्त किए। वहीं, 56% उम्मीदवारों की जीत का अंतर 50% से कम रहा। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि अधिकांश सीटों पर चुनाव काफी प्रतिस्पर्धात्मक थे। हालांकि, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े अंतर से जीत भी देखने को मिली।
तीन उम्मीदवारों ने 1,000 से भी कम वोटों के अंतर से अपनी जीत दर्ज की, जबकि तीन अन्य ने 30% से अधिक वोट अंतर से विजय हासिल की। यह विविधता दर्शाती है कि हरियाणा में चुनाव कई जगहों पर कांटे की टक्कर में थे और कुछ जगहों पर जनता का रुझान काफी स्पष्ट था।
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की स्थिति
यह जानकर हैरानी होती है कि 12 विजेताओं में से 11, जिन्होंने आपराधिक मामलों की घोषणा की थी, 50% से अधिक वोट शेयर के साथ चुनाव जीते। यह दर्शाता है कि मतदाताओं के लिए उम्मीदवार की पृष्ठभूमि हमेशा प्राथमिकता नहीं होती, या फिर यह भी हो सकता है कि अन्य कारक जैसे जाति, क्षेत्रीय प्रभाव या पार्टी की छवि निर्णायक रहे हों। इसके विपरीत, साफ छवि वाले 78 उम्मीदवारों में से केवल 29 ही आधे से अधिक वोट प्राप्त कर सके। यह भी रोचक है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 11 में से तीन ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 25% से अधिक अंतर से हराया।
करोड़पति और गैरकरोड़पति उम्मीदवारों का प्रदर्शन
हरियाणा चुनाव में 86 विजेता करोड़पति हैं। इनमें से 37 ने 50% से अधिक वोट हासिल किए। वहीं, चार गैरकरोड़पति विजेताओं में से तीन ने भी 50% से अधिक मत प्राप्त किए। यह आंकड़े बताते हैं कि अमीर और साधारण दोनों प्रकार के उम्मीदवारों को समर्थन मिला, लेकिन धनसंपन्न उम्मीदवारों का प्रभाव अधिक स्पष्ट है।
पुनर्निर्वाचित विधायकों का मजबूत प्रदर्शन
इस चुनाव में 30 पुनर्निर्वाचित विधायकों में से किसी का भी वोट शेयर 30% से कम नहीं रहा। यह साफ तौर पर इंगित करता है कि इन विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मजबूती से समर्थन प्राप्त है। यह उच्च वोट शेयर इन विधायकों की लोकप्रियता और उनके कार्यों की स्वीकार्यता को दर्शाता है।
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NOTA का सीमित उपयोग
नोटा (NOTA ‘इनमें से कोई नहीं’) विकल्प का इस्तेमाल बहुत सीमित रहा। 1,38,91,280 कुल वोटों में से केवल 53,300 (0.38%) मतदाताओं ने इस विकल्प का उपयोग किया। 2013 में चुनाव आयोग ने यह विकल्प इसलिए पेश किया था कि मतदाता अपनी असहमति व्यक्त कर सकें, लेकिन इसके इस्तेमाल में कमी दिखाती है कि लोगों ने उम्मीदवारों में से किसी को चुनना ही बेहतर समझा।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 ने यह दिखाया कि धनबल और बाहुबल का प्रभाव अभी भी चुनावों में मजबूत है। अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को मिलने वाला जनसमर्थन, करोड़पति उम्मीदवारों की बढ़त, और सीमित NOTA का प्रयोग कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करते हैं। एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा की राजनीति में अभी भी गहरे बदलाव की जरूरत है। इसके लिए जनजागरूकता, चुनाव सुधार, और एक पारदर्शी राजनीतिक प्रक्रिया को बढ़ावा देना आवश्यक होगा। ताकि लोकतंत्र की मजबूती बनी रहे। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने यह भी दिखाया कि राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है। मतदाताओं की बढ़ती जागरूकता और उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि पर ध्यान देना आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण होगा।