भारत में त्योहारों(भाई दूज) का खास महत्व है, जो परिवार और सामाजिक रिश्तों को मजबूत बनाते हैं। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व छिपा होता है। इन्हीं (भाई दूज)में से एक प्रमुख त्योहार है भाई दूज, जिसे पूरे देश में भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। हर साल दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें (भाई दूज)अपने भाई की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उन्हें तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं। इसके बदले भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
भाई दूज, का महत्व
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करने और उसे स्नेह से भरने का एक खास अवसर है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच के अटूट प्यार को दर्शाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से संबंधित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे, और यमुनाजी ने बड़े प्रेम से उनका सत्कार किया था। यमराज ने अपनी बहन को वचन दिया था कि इस दिन हर भाई जो अपनी बहन के हाथों से तिलक करवाएगा, उसे लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसलिए भाई दूज के दिन भाई-बहन के इस विशेष रिश्ते की आराधना की जाती है।
भाई दूज 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भाई दूज का पर्व 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर 2024 की रात 8 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और 3 नवंबर 2024 को रात 11 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को बड़े उल्लास और धूमधाम से मनाया जाएगा।
भाई दूज के दिन तिलक करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुबह से लेकर रात तक कई शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनका उपयोग भाई-बहन तिलक विधि के लिए कर सकते हैं। विशेष रूप से, तिलक के दौरान भाई को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए और बहन को पूरब दिशा की ओर। इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
भाई दूज की पूजा विधि
भाई दूज के दिन बहनें अपने घरों में पूजा की तैयारी करती हैं। सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ किया जाता है और रंगोली बनाई जाती है। फिर भाई को आसन पर बैठाया जाता है। बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं, उसके बाद आरती उतारती हैं और मिठाई खिलाती हैं। बहनें भाई की दीर्घायु और सफलता की कामना करती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार या दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेते हैं।
यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को और भी खास बना देता है। कुछ परिवारों में इस अवसर पर विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं। बहनें अपने भाई के पसंदीदा व्यंजन बनाकर उन्हें खिलाती हैं, जिससे इस पर्व का आनंद और भी बढ़ जाता है।
पौराणिक कथा
भाई दूज से जुड़ी एक प्रमुख कथा यह है कि यमराज अपनी बहन यमुनाजी के बुलाने पर उनके घर पहुंचे। यमुनाजी ने अपने भाई का स्वागत किया, उनके हाथ-पैर धोए, तिलक किया और उन्हें भोजन कराया। यमराज इस सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुनाजी को वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर आकर उसे तिलक करवाएगा, उसे किसी प्रकार का भय नहीं होगा। तभी से भाई दूज पर बहनें अपने भाई के लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
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भाई दूज के सांस्कृतिक पहलू
भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां हर राज्य में त्योहारों को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। भाई दूज भी विभिन्न राज्यों में अपनी अनूठी परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं महाराष्ट्र में इसे भाई बीज कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में इसे भाई फोंटा के नाम से जाना जाता है, जहां बहनें अपने भाई को तीन बार तिलक करती हैं और खास मंत्रों का जाप करती हैं।
भाई दूज केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावना है जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाती है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि चाहे कुछ भी हो जाए, भाई-बहन एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ते। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को प्यार और सम्मान से भर देता है। हर साल इस पर्व पर रिश्तों में नई ताजगी और प्यार की मिठास घुल जाती है।