हरियाणा के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है। वायु प्रदूषण से बढ़ते खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। खासतौर पर सर्दियों के दौरान, प्रदूषण के कारण लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
AQI सेहत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?
AQI यानी Air Quality Index वायु गुणवत्ता का पैमाना होता है। यह सूचकांक मुख्य रूप से हवा में मौजूद हानिकारक कणों और गैसों जैसे PM2.5, PM10, कार्बन मोनोक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड आदि को मापता है। AQI जितना ज्यादा होता है, हवा उतनी ही ज्यादा प्रदूषित मानी जाती है।
वायु गुणवत्ता को छह श्रेणियों में बांटा गया है:
– 0-50: अच्छा
– 51-100: संतोषजनक
– 101-200: मध्यम
– 201-300: खराब
– 301-400: बहुत खराब
– 401-500: गंभीर
जब AQI मध्यम या उससे ऊपर की श्रेणी में होता है, तो यह विशेष रूप से संवेदनशील समूहों जैसे बच्चों, बुजुर्गों, और अस्थमा के रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर सामान्य लोग भी स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।
हरियाणा के शहरों में AQI की स्थिति
हरियाणा के अलग-अलग शहरों में वायु गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक है। कुछ प्रमुख शहरों के AQI आंकड़े नीचे दिए गए हैं:
– चर्खी दादरी: AQI 175 (मध्यम)
– रोहतक: AQI 167 (मध्यम)
– कैथल: AQI 163 (मध्यम)
– भिवानी: AQI 159 (मध्यम)
– मुरथल: AQI 217 (खराब)
– पंचकूला: AQI 184 (मध्यम)
– यमुनानगर: AQI 184 (मध्यम)
– जींद: AQI 177 (मध्यम)
– फरीदाबाद: AQI 257 (खराब)
यह आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा में हवा की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन गिरती जा रही है। फरीदाबाद जैसे शहरों में हालात और भी खराब हैं, जहां AQI “खराब” श्रेणी में पहुंच चुका है।
फरीदाबाद में AQI सबसे खराब
फरीदाबाद में AQI 257 दर्ज किया गया है, जो “खराब” श्रेणी में आता है। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत हानिकारक है। विशेषज्ञों का मानना है कि हवा में मौजूद प्रदूषित कण फेफड़े और हृदय से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं। खासकर बुजुर्गों, बच्चों, और अस्थमा या फेफड़े संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
PM2.50 और PM10 का प्रभाव
PM2.5 और PM10 सूक्ष्म कण होते हैं, जो हवा में बहुत लंबे समय तक बने रह सकते हैं। यह कण सांस के जरिए फेफड़ों में जाकर सांस लेने में कठिनाई, एलर्जी, और यहां तक कि कैंसर का कारण भी बन सकते हैं।
– रोहतक: यहां के एमडी यूनिवर्सिटी क्षेत्र में PM2.5 का स्तर 173 से 451 तक पहुंच गया है। यह खतरनाक स्तर पर है, और इससे तुरंत प्रभाव से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह स्तर बताता है कि वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हो रही है।
– भिवानी: भिवानी के एच.बी. कॉलोनी क्षेत्र में PM2.5 का स्तर 261 से लेकर 118 के बीच रहा है। जब PM2.5 का स्तर इतना ऊंचा हो, तो यह गंभीर श्वसन समस्याएं पैदा कर सकता है, विशेष रूप से बच्चों और बूढ़ों के लिए।
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स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रभाव
वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से दिल की बीमारियां और फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है। इसके अलावा, हवा में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड जैसी हानिकारक गैसें रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर सकती हैं, जिससे थकान, सांस लेने में कठिनाई, और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
हरियाणा में वायु गुणवत्ता की स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। इसे सुधारने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को साफ और स्वस्थ हवा मिल सके।