हरियाणा सरकार ने हाल ही में 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया है, जिसमें राज्य की प्रति व्यक्ति आय और गरीबी से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से अधिक है, लेकिन गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी है। यह स्थिति राज्य के आर्थिक विकास की दोहरी तस्वीर पेश करती है, जो कि एक ओर उच्च आय स्तर को दर्शाती है, तो दूसरी ओर गरीबी और आर्थिक असमानता की गंभीर समस्या को भी उजागर करती है।
आय राष्ट्रीय औसत से अधिक
हरियाणा सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2,96,592 रुपये है, जो कि राष्ट्रीय औसत 1,72,276 रुपये से कहीं अधिक है। इस आंकड़े से हरियाणा की आर्थिक मजबूती का पता चलता है, खासकर इसके कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के बावजूद। हरियाणा लंबे समय से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसके औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रगति हो रही है।
प्रति व्यक्ति आय के मामले में हरियाणा का स्थान राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष राज्यों में से एक है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्यों संजीव सान्याल और आकांक्षा अरोड़ा द्वारा प्रस्तुत एक हालिया शोधपत्र के अनुसार, हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का 176.8 प्रतिशत है। यह आंकड़ा हरियाणा को देश में प्रति व्यक्ति आय के मामले में चौथे स्थान पर रखता है, जो कि राज्य की आर्थिक उपलब्धियों को दर्शाता है।
गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली बड़ी आबादी
हालांकि, इन उच्च आय आंकड़ों के , हरियाणा में गरीबी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के अनुसार, हरियाणा की लगभग 71 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) श्रेणी में आती है। राज्य की कुल 2.8 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 1.98 करोड़ लोग बीपीएल श्रेणी में हैं। हरियाणा सरकार ने बीपीएल श्रेणी में आने के लिए वार्षिक घरेलू आय की सीमा 1,80,000 रुपये तय की है, जिसका अर्थ है कि इससे कम आय वाले परिवार बीपीएल सूची में आते हैं।
बीपीएल श्रेणी में इतनी बड़ी संख्या का होना राज्य की आर्थिक स्थिति की विषमता को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि भले ही राज्य की औसत आय उच्च है, लेकिन समाज के बड़े हिस्से को इस लाभ का सीधा फायदा नहीं मिल रहा है। गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों की उच्च संख्या से यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास के बावजूद गरीबी और आर्थिक असमानता राज्य के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
अर्थव्यवस्था का दोहरा चेहरा
हरियाणा की आर्थिक स्थिति का यह दोहरा चेहरा कई सवाल खड़े करता है। एक तरफ राज्य की प्रति व्यक्ति आय उच्च है और यह देश में शीर्ष स्थानों में आता है, जो राज्य की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है। दूसरी तरफ, बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
इस दोहरी स्थिति के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हरियाणा में कृषि और उद्योग दोनों ही महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र का विकास अधिकतर शहरी क्षेत्रों में केंद्रित है। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय असमानता बढ़ गई है। शहरी क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर अवसर और उच्च वेतन मिलने से औसत आय में बढ़ोतरी हुई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कृषि पर निर्भरता अधिक है और आय कम है।
हरियाणा सरकार की योजनाएं और चुनौतियाँ
हरियाणा सरकार ने बीपीएल परिवारों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें सस्ता राशन, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा और वित्तीय सहायता शामिल हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि इन योजनाओं के माध्यम से गरीब तबके को सहायता दी जा सके और उन्हें गरीबी से बाहर निकाला जा सके।
हालांकि, इन योजनाओं के बावजूद बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल आय में वृद्धि से गरीबी की समस्या हल नहीं होगी, बल्कि समाज के हर वर्ग तक विकास के लाभ पहुंचाने की जरूरत है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि सुधार, रोजगार के नए अवसर और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन जरूरी है।
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हरियाणा की आर्थिक स्थिति मजबूत है, लेकिन इसके लाभ समाज के हर वर्ग तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। उच्च प्रति व्यक्ति आय और बीपीएल परिवारों की बड़ी संख्या -का सह-अस्तित्व राज्य की आर्थिक विषमता को दर्शाता है। राज्य को अपनी आर्थिक योजनाओं में बदलाव कर विकास के लाभ को गरीब और ग्रामीण तबकों तक पहुंचाना होगा, ताकि एक संतुलित और समृद्ध हरियाणा का निर्माण हो सके।