Saturday, July 12, 2025
- Advertisement -spot_img

हरियाणा में खेल और आर्ट के माध्यम से प्राध्यापकों की ट्रेनिंग: नई शिक्षा नीति के तहत अनूठी पहल

अवश्य पढ़ें
हरियाणा में राज्य सरकार ने नई शिक्षा नीति में सुधार और नवीनता लाने के उद्देश्य से एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य के विभिन्न जिलों नई शिक्षा नीति  में अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, और समाजशास्त्र के प्राध्यापकों को बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का तरीका सिखाया जाएगा। यह ट्रेनिंग 11 नवंबर से शुरू होकर पांच दिनों तक चलेगी, जिसमें प्राध्यापकों को खेल और आर्ट के माध्यम से पढ़ाई कराने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

नई शिक्षा नीति के उद्देश्य
भारत सरकार की 2020 में लागू की गई नई शिक्षा नीति (NEP) का मुख्य उद्देश्य शिक्षा में पारंपरिक और आधुनिक पद्धतियों का समावेश करना है। इसके तहत, शिक्षा को अधिक रुचिकर, व्यावहारिक और सृजनात्मक बनाने पर जोर दिया गया है। नई नीति में खेल और आर्ट के माध्यम से बच्चों की रचनात्मकता और समझ को बेहतर बनाने के तरीकों पर ध्यान दिया जा रहा है। हरियाणा सरकार ने इस नीति को प्रभावी बनाने के लिए प्राध्यापकों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है, ताकि वे इस नए और सृजनात्मक पद्धति को अपने शिक्षण में शामिल कर सकें।

प्रशिक्षण का उद्देश्य और विधि
प्राध्यापकों को दी जाने वाली यह ट्रेनिंग खेल और आर्ट को पढ़ाई में शामिल करने पर केंद्रित है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बच्चे खेल-खेल में अधिक आसानी से सीखते हैं। इस विधि से पढ़ाई केवल एक पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहती, बल्कि बच्चे इसे अनुभव करते हैं और उनके लिए पढ़ाई का अनुभव अधिक दिलचस्प और प्रभावी बनता है।

प्राचीन भारतीय समाज में भी खेल और कला का विशेष महत्व था, और इसे नई पीढ़ी में पुनः जोड़ा जा रहा है। बच्चों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने और उनमें नई शिक्षा नीति के अनुरूप आधुनिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए यह प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है।

प्रशिक्षण का आयोजन और कार्यशालाएं
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) हरियाणा ने राज्य के सभी डाइट (DIET) प्राचार्यों को इस प्रशिक्षण के लिए पत्र भेजा है। इसमें सभी प्राचार्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिलों में निर्धारित विषयों के प्राध्यापकों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित करें।

इस कार्यक्रम में, हरियाणा के विभिन्न जिलों में प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए हैं। समाजशास्त्र विषय के लिए विशेष रूप से चार प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें गुरुग्राम, रोहतक, हिसार और अंबाला शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य जिलों में संबंधित विषयों के प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए हैं, जहाँ प्राध्यापक अपने निर्धारित प्रशिक्षण में भाग लेंगे।

प्रशिक्षण केंद्रों का वितरण:
– गुरुग्राम केंद्र: गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूहं, रेवाड़ी, और महेंद्रगढ़
– रोहतक केंद्र: पानीपत, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, चरखी दादरी, और भिवानी
– हिसार केंद्र: सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, और कैथल
– अंबाला केंद्र: यमुनानगर, पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, और करनाल

प्रशिक्षण का कोर्स और पाठ्यक्रम
प्रशिक्षण के दौरान, प्राध्यापकों को हर दिन लगभग छह घंटे की ट्रेनिंग दी जाएगी। पांच दिनों में, प्राध्यापक कुल 30 घंटे की ट्रेनिंग पूरी करेंगे। इसमें उन्हें विभिन्न गतिविधियाँ, खेल और आर्ट को शिक्षा में कैसे शामिल करना है, इसके तरीकों से अवगत कराया जाएगा।

प्राचीन और आधुनिक के बीच तालमेल
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य न केवल प्राध्यापकों को शिक्षा के आधुनिक तरीकों से जोड़ना है, बल्कि उन्हें भारत के प्राचीन मूल्यों से भी जोड़ना है। प्रशिक्षण के दौरान प्राध्यापकों को उन खेलों और कार्यकलापों के बारे में भी सिखाया जाएगा, जिन्हें प्राचीन समय में भारतीय समाज में महत्व दिया जाता था। जैसे, पारंपरिक खेल और कला-कार्य, जिनसे बच्चे सीखने के साथ-साथ अपने सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ सकें।

नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति में “आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग” और “स्पोर्ट्स इंटीग्रेटेड लर्निंग” को विशेष रूप से जगह दी गई है। इस नीति के तहत, छात्रों को खेलों और कला के माध्यम से ऐसे स्किल्स सिखाए जाते हैं, जिनसे उनके मानसिक और शारीरिक विकास में सुधार हो। इसके लिए प्राध्यापकों को बच्चों को एक्टिविटी-आधारित शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें:e-challan घोटाला: सतर्क रहें, जानें जरूरी जानकारी और बचाव के उपाय

प्रशिक्षण का महत्व और असर
इस पहल से प्राध्यापकों को शिक्षा में नए तरीकों का उपयोग करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकेंगे। इससे बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में सुधार होगा और वे शिक्षा के प्रति अधिक रुचि दिखाएंगे। इसके अतिरिक्त, यह ट्रेनिंग बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास में भी सहायक होगी।

राज्य के अधिकारियों का मानना है कि इस नई ट्रेनिंग से बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आएगा। जो प्राध्यापक इस ट्रेनिंग को लेकर जाएंगे, वे आगे चलकर शिक्षा के इस नए मॉडल को कक्षा में लागू करेंगे। इस प्रकार का प्रशिक्षण शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बच्चों को न केवल शिक्षा में रुचि प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें स्वस्थ और समाज के प्रति संवेदनशील बनाएगा।

हरियाणा में यह पहल एक उदाहरण बन सकती है, जिसे अन्य राज्य भी अपनाकर अपनी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बना सकते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत सरकार का यह प्रयास एक सकारात्मक कदम है, जिससे बच्चों को सीखने का एक नया और प्रेरणादायक माहौल मिल सकेगा।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img
ताजा खबर
- Advertisement -spot_img

More Articles Like This

- Advertisement -spot_img