हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए धांधली के आरोपों ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया था। कांग्रेस का आरोप था कि इस चुनाव में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी की गई है, जिससे उनके उम्मीदवारों को नुकसान हुआ। इस मामले में चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सभी आरोप गलत, निराधार और तथ्यहीन हैं।
चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई 1600 पन्नों की इस रिपोर्ट में कांग्रेस के हर आरोप का विस्तार से खंडन किया गया है। आयोग ने कहा कि इस तरह के आरोपों से केवल चुनावी प्रक्रिया में अशांति और अराजकता फैलती है। चुनाव आयोग ने कांग्रेस को इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना आरोपों से बचने की सलाह दी। आयोग ने यह भी कहा कि कांग्रेस का यह आरोप पूरी तरह से आधारहीन है और इसका उद्देश्य केवल जनता को भ्रमित करना है। आयोग ने पिछले एक साल के दौरान कांग्रेस द्वारा लगाए गए पांच ऐसे ही आरोपों का भी जिक्र किया, जिससे यह साबित होता है कि कांग्रेस लगातार इस तरह के आरोप लगाने की आदत बना चुकी है।
मतदान और मतगणना की स्थिति
हरियाणा में इस बार का विधानसभा चुनाव एक ही चरण में 5 अक्टूबर को हुआ था, और मतगणना 8 अक्टूबर को की गई। मतगणना के दौरान कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कई जगहों पर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में तकनीकी गड़बड़ी पाई गई। कांग्रेस का कहना था कि कुछ ईवीएम 99% बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं, जबकि कुछ मशीनें 60-70% बैटरी पर। कांग्रेस के अनुसार, जिन ईवीएम में 99% बैटरी थी, उन जगहों पर कांग्रेस के उम्मीदवार हार गए, जबकि 60-70% बैटरी वाले ईवीएम पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली। कांग्रेस ने इसे एक साजिश का हिस्सा बताया और चुनाव आयोग से इन मशीनों को जांच पूरी होने तक सील कर सुरक्षित रखने की मांग की।
पवन खेड़ा का बयान
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह स्थिति अत्यंत संदेहास्पद है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इन मशीनों की जांच कराए और इस बात का पता लगाए कि बैटरी स्तर में अंतर के पीछे क्या कारण था। खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस ने अपनी शिकायत के समर्थन में चुनाव आयोग को एक सूची भी सौंपी है, जिसमें उन जगहों का जिक्र है जहां कथित रूप से गड़बड़ी हुई है। कांग्रेस का कहना है कि यदि चुनाव आयोग इस मामले की गहन जांच नहीं करता, तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
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चुनाव आयोग की सलाह और प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ संचालित की गई है। आयोग का कहना है कि हर चुनाव में ईवीएम की जांच की जाती है, और इस बार भी चुनाव से पहले और बाद में सभी मशीनों की गहन जांच की गई थी। आयोग ने कांग्रेस को नसीहत दी कि बिना किसी ठोस सबूत के चुनाव प्रक्रिया पर आरोप न लगाए जाएं। आयोग ने कहा कि कांग्रेस द्वारा उठाए गए सभी आरोप तथ्यहीन हैं और इससे केवल जनता के बीच भ्रम फैलता है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि ईवीएम का बैटरी स्तर किसी भी चुनावी परिणाम पर कोई असर नहीं डालता है। आयोग ने कहा कि ईवीएम का बैटरी स्तर मशीन की कार्यक्षमता से जुड़ा हुआ है, न कि मतदान के परिणाम से। आयोग ने कांग्रेस को सलाह दी कि वे चुनावी प्रक्रिया पर आरोप लगाने से पहले इसकी तकनीकी और प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी लें।
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भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार
इस चुनाव में भाजपा ने विभिन्न क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराया। उदाहरण के लिए, पानीपत में भाजपा के प्रमोद कुमार विज ने कांग्रेस के वरिंदर कुमार शाह को 35,672 वोटों से पराजित किया। इसी प्रकार बल्लभगढ़ में भाजपा के मूल चंद शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार शारदा राठौर को 17,730 वोटों से हराया। भाजपा की इस जीत ने हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव ला दिया है और कांग्रेस के प्रदर्शन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
इस बीच, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया और 20 सीटों पर वोटिंग और काउंटिंग में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की। 16 अक्टूबर को दायर इस याचिका में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराए और नतीजे घोषित किए, जिन पर उन्हें संदेह है। लेकिन 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि आयोग द्वारा चुनाव पारदर्शिता से संपन्न हुआ है।