Monday, June 9, 2025
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हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की बड़ी जीत का विश्लेषण

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चंडीगढ़: हाल ही में हुए हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों (एनडीए) को भारी सफलता मिली। यह नतीजे इसलिए खास थे क्योंकि कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन इन दोनों राज्यों में उम्मीद से कमजोर रहा था। सवाल उठता है कि इतने कम समय में मतदाताओं का रुख कैसे बदल गया? इस पर एक सर्वे के नतीजों ने कुछ अहम कारण सामने रखे हैं।

लोकसभा चुनाव बनाम विधानसभा चुनाव

लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा और उसके गठबंधन को इन राज्यों में अच्छा परिणाम नहीं मिला था:

  • महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटों में महायुति गठबंधन को सिर्फ 17 सीटें मिली थीं। इनमें भाजपा को 9, शिवसेना को 7 और एनसीपी को 1 सीट मिली।
  • हरियाणा में 10 लोकसभा सीटों में से भाजपा सिर्फ 5 सीटें जीत पाई।

लेकिन विधानसभा चुनावों में तस्वीर पूरी तरह बदल गई:

  • महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 288 में से 235 सीटों पर जीत दर्ज की।
  • हरियाणा में भाजपा ने 90 में से 48 सीटें हासिल कीं।

मतदाताओं की बदली राय

सर्वे के अनुसार, लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मतदाताओं को लगा कि भाजपा को कम सीटें देकर उन्होंने गलती कर दी। उन्हें यह डर था कि अगर विपक्ष के हाथ में सत्ता जाती है, तो देश कमजोर हो सकता है। विधानसभा चुनावों में इसी डर और सुधार की भावना ने भाजपा को मजबूत समर्थन दिलाया।

जम्मू-कश्मीर और झारखंड में क्यों अलग परिणाम आए?

यह सवाल भी उठा कि हरियाणा और महाराष्ट्र के मतदाताओं की तरह जम्मू-कश्मीर और झारखंड में वैसा रुख क्यों नहीं दिखा? विशेषज्ञों का मानना है कि इन राज्यों में क्षेत्रीय मुद्दे ज्यादा प्रभावी रहे।

महायुति सरकार की कार्यशैली का असर

विशेष रूप से महाराष्ट्र में मतदाताओं ने कहा कि विधानसभा चुनावों तक महायुति सरकार के काम से वे संतुष्ट थे। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने “संविधान में बदलाव” जैसे मुद्दे उठाए थे, जिससे लोग भ्रमित हो गए थे। विधानसभा चुनावों तक यह भ्रम दूर हो गया, और मतदाताओं ने सरकार के कामकाज पर भरोसा जताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता

सर्वे में यह भी सामने आया कि लोकसभा चुनावों के नतीजों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार रही, बल्कि बढ़ी। लोगों ने विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व और कार्यशैली पर भरोसा दिखाया, जिसका फायदा भाजपा और उसके गठबंधन को मिला।

हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की बड़ी जीत का विश्लेषण

प्रचार अभियान और नारों की भूमिका

भाजपा का प्रचार अभियान भी इस जीत में अहम साबित हुआ।

  • महाराष्ट्र के 56 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि “एक हैं तो सेफ हैं” का नारा उन्हें काफी पसंद आया।
  • वहीं 25 प्रतिशत ने “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे नारों को भी सही माना।

इन नारों ने मतदाताओं के बीच एकजुटता की भावना पैदा की, जिससे भाजपा को फायदा मिला।

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विपक्ष की कमजोर रणनीति

सर्वे के मुताबिक, विपक्ष इस चुनाव में मतदाताओं के सामने एक ठोस और विश्वसनीय विकल्प नहीं रख पाया। संविधान में बदलाव जैसे मुद्दे को भुनाने की कोशिश नाकाम रही। मतदाताओं को यह मुद्दे भ्रमित करने वाले लगे, जिससे भाजपा को फायदा हुआ।

हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की जीत यह बताती है कि मतदाता स्थिरता और मजबूत नेतृत्व को प्राथमिकता देते हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मतदाताओं ने विधानसभा चुनावों में अपनी गलती सुधारने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता, महायुति सरकार के कामकाज और भाजपा के सटीक प्रचार अभियान ने इस जीत को संभव बनाया।

हालांकि जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे राज्यों में यह स्थिति अलग थी, जहां स्थानीय मुद्दे अधिक हावी रहे। इस चुनाव से यह साफ है कि भाजपा ने मतदाताओं का भरोसा फिर से जीतने में सफलता पाई है, जबकि विपक्ष के लिए यह एक सबक है कि उन्हें अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा और जनता के सामने एक मजबूत विकल्प पेश करना होगा।

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